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Wednesday, February 1, 2017

जब मन्त्र जप करना हो

    हम अपने -अपने ईष्ट की पूजा तो अवश्य ही करते हैं। कभी ग्रह दोष मिटने के लिए पूजा-पाठ करते हैं तो कभी अपने ईष्ट के करीब रहने के लिए भी पूजन करते हैं। पूजन में मन्त्रों का बहुत महत्व है। मन्त्रों का उच्चारण और इनकी ध्वनि से वातावरण में सकारात्मकता उत्पन्न होती है। यही सकारत्मकता ही ग्रहों के दूषित प्रभाव का असर खत्म करती है और जीवन में नवसंचरण करती है।
           लेकिन हम में से सभी को तो मन्त्र उच्चारण नहीं आता है। ऐसे में तो पूजा का फल मिलने की बजाय कुफल ही मिलता है। एक कहानी कहीं पढ़ी थी, जिसमें एक व्यक्ति अपनी पत्नी की गम्भीर बीमारी की समस्या ले कर किसी बाबा जी के पास गया। बाबा जी ने एक श्लोक तो दिया साथ में एक सम्पुट भी दिया, जिसके अंत में " मम् भार्याम  रक्षितुमम् " था। वह व्यक्ति बेध्यानी में रक्षितुम की जगह भक्षितुम पढता गया और उसकी पत्नी नहीं बच सकी।
             कहानी सच्ची थी या नहीं, पता नहीं। लेकिन मंत्रो का गलत उच्चारण तो उल्टा असर तो देता ही है। आज कल टीवी पर विभिन्न ज्योतिषियों के कार्यक्रम आते हैं। जो  ज्ञानवर्धन तो करते ही हैं साथ में कुछ उपाय भी बताते हैं। जिनमें कभी -कभी मन्त्र जप भी होते हैं। उन मन्त्रों  ज्योतिषी कुछ बोलते हैं और टीवी स्क्रीन पर कई बार शब्दों का हेर -फेर होता है। जिनको ज्ञान है उनका तो ठीक है , लेकिन जिनको नहीं पता वे तो स्क्रीन पर लिखा ही मन्त्र उतार लेते हैं। फिर परिणाम सही कैसे होगा !
            इसलिए जब भी मन्त्र जप करना हो तो जानकार से पूछ कर और सही उच्चारण से करें।

ॐ शांति।

उपासना सियाग