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Monday, November 26, 2012

राहु ग्रह और महिलाएं ......

राहु एक तमोगुणी मलेच्छ और छाया  ग्रह माना गया है। इसका प्रभाव शनि की भांति  ही होता है।
यह तीक्ष्ण  बुद्धि , वाक्पटुता , आत्मकेंद्रिता ,स्वार्थ , विघटन और अलगाव , रहस्य  मति भ्रम , आलस्य  छल - कपट ( राजनीति ) , तस्करी ( चोरी ), अचानक घटित होने वाली घटनाओं , जुआ  और  झूठ का कारक  है।

राहू से प्रभावित स्त्री एक अच्छी जासूस या वकील , अच्छी  राजनीतीज्ञ  हो सकती है। वह आने वाली बात को पहले ही भांप लेती है। विदेश यात्राएं बहुत करती है।

कुंडली में राहू जिस राशि में स्थित होता है वैसे ही परिणाम देने लगता है। अगर वृहस्पति के साथ या उसकी राशि में हो तो स्त्री को ज्योतिष में रूचि  होगी। शनि के प्रभाव में तो तांत्रिक - विद्या में निपुण होगी।

चंद्रमा के साथ हो तो वह कई सारे  वहमो में उलझी रहेगी , जैसे उसे कुछ दिखाई  दे रहा है ( भूत-प्रेत आदि )...., या भयभीत रहती है। अगर वह ऐसा कहती है तो गलत नहीं कह रही होती  क्यूंकि अगर स्त्री के लग्न में राहू हो या राहू की दशा -अन्तर्दशा में ऐसी भ्रम की स्थिति हो जाया करती है। जब हमारे देश की कुंडली में राहू की दशा थी तब देश में भी  भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुयी थी जैसे गणेश जी का दूध पीना , समुन्दर का पानी मीठा हो जाना ....आदि -आदि।
ऐसे में स्त्री पर आक्षेप लगाने से बेहतर होगा के उसकी कुंडली दिखा कर सही उपचार किया जाय।अगर कुंडली ना हो तो शिव जी शरण में जाना चाहिए। मोती भी धारण किया जा सकता है पर सही ज्योतिषी की राय लेकर ही।

राहु से प्रभावित स्त्री की वाणी में कटुता आ जाती है।वह थोड़ी घमंडी  भी हो जाया करती है।। भ्रमित  रहने के कारण वह कई बार सही गलत की पहचान भी नहीं कर पाती। जिसके फलस्वरूप उसका दाम्पत्य जीवन भी नष्ट होते देखा गया है।

राहु  के दूषित प्रभाव के कारण स्त्री में चर्म  -रोग ,मति -भ्रम , अवसाद रोग से ग्रस्त  हो सकती है।

राहु को शांत करने के लिए दुर्गा माँ की आराधना करनी चाहिए। खुल कर हँसना चाहिए। मलिन और फटे वस्त्र नहीं पहनना चाहिए। गहरे नीले रंग से परहेज़ करना चाहिए। काले रंग की गाय की सेवा करनी चाहिए।मधुर संगीत सुनना चाहिए।रामरक्षा स्त्रोत का पाठ भी लाभ दायक रहेगा।

 इसकी शांति के लिए गोमेद रत्न धारण किया जा सकता है लेकिन किसी अच्छे ज्योतिषी की राय ले कर ही।

ॐ शांति ...







Sunday, November 25, 2012

शनि ग्रह और महिलाएं ...

शनि ग्रह तमोगुणी और पाप प्रवृत्ति का है। यह सबसे धीमा चलने वाला , शीतल , निस्तेज  , शुष्क  , उदास और शिथिल  ग्रह है। इसे वृद्ध ग्रह माना गया है। इसलिए इसे दीर्घायु प्रदायक या आयुष्कारक ग्रह कहा गया है।

यह कुंडली में कान , दांत , अस्थियों , स्नायु  , चर्म ,शरीर में लोह तत्व व वायु तत्व , आयु , जीवन , मृत्यु  , जीवन शक्ति , उदारता  , विपत्ति  , भूमिगत साधनों और अंग्रेजी शिक्षा का कारक  है।

किसी भी स्त्री की कुंडली में अच्छा शनि उसे उदार , लोकप्रिय बनता है और तकनीकी ज्ञान में अग्रणी रखता है। वह हर क्षेत्र में अग्रणी हो कर प्रतिनिधित्व करती है। राजनीति में भी उच्च पद प्राप्त करती है।

दूषित शनि विवाह में विलम्ब कारक भी है। और निम्न स्तर का जीवन साथी की प्राप्ति की ओर भी संकेत करता है।

दूषित शनि स्त्री को ईर्ष्यालु और हिंसक भी बना देता है।यह स्त्री में निराशा ,उदासीनता और नीरसता का समावेश कर उसके दाम्पत्य जीवन को कष्टमय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ता। और धीरे - धीरे  स्त्री अवसाद की तरफ बढ़ने लग  जाती है।

स्त्रियों में कमर -दर्द , घुटनों का दर्द या किसी भी तरह का मांसपेशियों का दर्द दूषित शनि  का ही परिणाम है। चंदमा के साथ शनि स्त्री को पागलपन का रोग तक दे सकता है। इसके लिए स्त्री को काले रंग का परहेज़ और अधिक से अधिक हलके और श्वेत रंगों का प्रयोग करना चाहिए।

शनि  को अनुकूल बनाने के लिए स्त्री को ना केवल  अपने परिवार के ही बल्कि सभी वृद्ध जनो का सम्मान करना चाहिए। अपने  अधीनस्थ कर्मचारियों और सेवकों के प्रति स्नेह  और उनके हक़ और हितों की रक्षा भी करें। देश के प्रति सम्मान की भावना रखे। शनि इम्मंदारी और सच्चाई से प्रसन्न रहता है।

क्यूंकि शनि को न्यायाधीश भी माना  गया है तो यह अपनी दशा -अंतर दशा में अपना सुफल या कुफल जरुर देता है कर्मो के अनुसार।

शनि अगर प्रतिकूल फल दे रहा हो तो हनुमान जी की आराधना करनी चाहिए। मंगलवार को चमेली के तेल का दीपक हनुमान जी के आगे करना चाहिए। शनि चालिसा , हनुमान चालीसा का पाठ विशेष लाभ देगा। अगर शनि के कारण हृदय रोग परेशान  करता हो तो सूर्य को जल और आदित्य -ह्रदय स्त्रोत का पाठ लाभ देगा और अगर मानसिक रोग के साथ सर्वाइकल का दर्द हो तो शिव आराधना विशेष लाभ देगी। काले और गहरे नीले रंग का परित्याग शनि को अनुकूल बना सकता है।

नीलम का धारण भी शनि को अनुकूल बनता है पर किसी अच्छे ज्योतिषी से पूछ कर ही।

ॐ शांति .....

शुक्र ग्रह और महिलाएं ......

शुक्र एक शुभ एवं रजोगुणी ग्रह है।यह विवाह , वैवाहिक जीवन , प्यार , रोमांस  , जीवन साथी तथा यौन सम्बन्धों का नैसर्गिक कारक है। यह सौंदर्य , जीवन का सुख , वाहन  , सुगंध और सौन्दर्य प्रसाधन का कारक भी है।

किसी भी स्त्री की कुंडली में जैसे वृहस्पति ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है , वैसे ही शुक्र भी दाम्पत्य जीवन में प्रमुख भूमिका निभाता है।

 कुंडली का अच्छा शुक्र चेहरा देखने से ही प्रतीत हो जाता है। यह स्त्री के चेहरे को आकर्षण का केंद्र बनाता  है। यहाँ यह जरुरी नहीं की स्त्री का रंग गोरा है या सांवला।

सुन्दर -नेत्र और सुंदर केशराशि से पहचाना जा सकता है  स्त्री का शुक्र शुभ ग्रहों के सानिध्य में है। वह सोंदर्य -प्रिय भी होती है।

अच्छे  शुक्र के प्रभाव से स्त्री को हर सुख सुविधा प्राप्त होती है।  वाहन ,  घर , ज्वेलरी , वस्त्र   सभी उच्च कोटि के। किसी भी वर्ग की औरत हो ,  उच्च , मध्यम या निम्न उसे अच्छा शुक्र सभी वैभव प्रदान करता ही है। यहाँ यह कहना भी जरुरी है अगर आय के साधन सीमित भी हो तो भी वह ऐशो आराम से ही रहती है।

अच्छा शुक्र किसी भी स्त्री को गायन , अभिनय ,काव्य -लेखन की और प्रेरित करता है। चन्द्र के साथ शुक्र हो तो स्त्री भावुक होती है। और अगर साथ में बुध का साथ भी मिल जाये तो स्त्री लेखन के क्षेत्र में पारंगत होती है और साथ ही में वाक् पटु भी , बातों में उससे शायद ही कोई जीत पाता हो।

अच्छा शुक्र स्त्री में मोटापा भी देता है।जहाँ वृहस्पति स्त्री को थुलथुला मोटापा दे कर अनाकर्षक बनता है वही शुक्र  से आने वाला मोटापा स्त्री को और भी सुन्दर दिखाता है।यहाँ हम शुभा मुदगल और किरन खेर , फरीदा जलाल का उदाहरण  दे सकते हैं।

कुंडली का बुरा शुक्र या पापी ग्रहों का सानिध्य या कुंडली के दूषित भावों का साथ स्त्री में चारित्रिक दोष भी उत्पन्न करवा  सकता है।यह विलम्ब से विवाह , कष्ट प्रद दाम्पत्य जीवन , बहु विवाह , तलाक की और  भी इशारा करता है। अगर ऐसा हो तो स्त्री को हीरा पहनने से परहेज़ करना चाहिए।

कमज़ोर  शुक्र स्त्री में मधुमेह , थाइराईड , यौन रोग , अवसाद और वैभव हीनता लाता  है।

शुक्र को अनुकूल करने के लिए शुक्रवार का व्रत और माँ लक्ष्मी जी की आराधना करनी चाहिए। चावल ,  दही  , कपूर , सफ़ेद -वस्त्र , सफ़ेद पुष्प का दान देना अनुकूल रहता है।  छोटी कन्याओं कोचावल की इलाइची डाल कर  खीर भी खिलानी चाहिए।

कनक - धारा , श्री सूक्त , लक्ष्मी स्त्रोत , लक्ष्मी चालीसा  का पाठ और लक्ष्मी मन्त्रों का जाप भी सुकर को बलवान करता है।माँ लक्ष्मी को गुलाब का इत्र  अर्पण करना विशेष फलदायी है।

हीरा भी धारण किया जा सकता है पर किसी अच्छे  ज्योतिषी से कुंडली का विश्लेष्ण करवाने के बाद ही।

 जन्म -कुंडली के अलग -अलग भावों और ग्रहों के साथ शुक्र के प्रभाव में अंतर आ सकता है।यह मेरा एक सामान्य विश्लेष्ण ही  है।

ॐ शांति .....