Text selection Lock by Hindi Blog Tips

Monday, January 27, 2014

गायत्री मन्त्र : एक अनुभूत प्रयोग

                                   
 " ॐ भूर्भुवः स्वः तत सवितुर्वरेण्यं 
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात।"

गायत्री मन्त्र का अर्थ :-- उस सर्वरक्षक प्राणों से प्यारे, दु:खनाशक, सुखस्वरूप श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतरात्मा में धारण करें  तथा  परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें। 

  गायत्री मन्त्र की महत्ता आदि काल से चली आ रही है। यह सूर्य देव को प्रसन्न करने का मन्त्र भी माना जाता है। जन्म-कुंडली में यही सूर्य कमजोर स्थिति में हो तो इस मन्त्र का जाप लाभदायक रहता है। 
    शांति कुञ्ज हरिद्वार से प्रकाशित पत्रिका ' अखंड-ज्योति ' के अनुसार इस मंत्र का मानसिक जाप भी फलदायक होता है। उनके अनुसार इसे आप जब चाहें चलते -फिरते , काम करते हुए , महिलाएं भोजन पकाते समय भी और रात को अगर अनिद्रा की शिकायत है तब भी इसका जाप करें तो नींद अच्छी आ जाती है। निरंतर जप से यह मन्त्र सिद्ध भी हो जाता है। 



  
हृदय रोगी इसका निरंतर जप करें तो बहुत राहत मिलती है 
 सुबह सूर्य को जल अर्पण करते हैं तब यदि अपनी मनोकामना के साथ तीन बार गायत्री मन्त्र बोला जाए तो कामना अवश्य पूर्ण होती है। 
  दिन में पौने बारह ( 11 :45 am ) से सवा बारह बजे( 12:15pm) तक इस मन्त्र का प्रसारण ( म्यूज़िक -सिस्टम से  ) किया जाए तो वास्तु दोषों में बहुत सुधार होता है। 
   बच्चे को सुबह जगाते समय और रात को सोते समय बच्चे के बालों में उँगलियाँ फिराते हुए उसके उज्जवल भविष्य और सद्बुद्धि की कामना करने से बच्चे के मन-मस्तिष्क पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। 
    अपनी कोई भी मनोकामना को पूरा करने के लिए अपनी मनोकामना को बोलते हुए इस मन्त्र का इक्कीस बार जप कीजिये तो जरुर पूरी होती है। 
  यह मन्त्र हम जन कल्याण और देश हित के लिए प्रयोग करें तो और भी अच्छा होगा। जब भी पूजा करें तो कम से कम ग्यारह बार इसका जप अपने देश के हित और कल्याण के लिए अवश्य करें। 

ॐ शांति।