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Tuesday, August 4, 2015

बच्चे और उनके स्वभाव को प्रभावित करते ग्रह

            बच्चे जैसे रंग बिरंगे फूल , सबका अलग रंग , खुशबू  और स्वभाव भी। कोई चंचल , कोई सीधा सा , कोई शांत तो कोई एक पल भी चैन से ना बैठने वाला होता है। यानि कि हर बच्चा अलग होता है। पार्क  ,स्कूल  या हम अगर हमारे आस पास देखें तो हर बच्चे में अलग -अलग विशेषता पाई जाती है।यह विशेषता ग्रह जनित ही होती है।
            एक स्कूल और एक ही कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे चाहे एक जैसी यूनिफार्म पहनते हों या एक जैसे विषय पढ़ रहे हों तो भी उनकी प्रकृति में फर्क होता है।फिर क्यों कोई बच्चा अलग-अलग विषय चुनता है , कोई खेल में अच्छा है तो कोई कला में तो कोई ऑल राउंडर है तो कोई भी विषय में अच्छा नहीं। यह भी ग्रहों का कमाल  होता है। यहाँ मैं सिर्फ एक ग्रह और स्वभाव ही बताऊँगी। वैसे ग्रहों की युति और स्थिति  से कुछ परिस्तिथियाँ भिन्न हो सकती है , फिर भी हर इंसान किसी एक ग्रह से अधिक प्रभावित तो होता ही है।
 सूर्य :--
      जिस बच्चे का सूर्य अच्छा होगा वह कक्षा में अग्रणी रहेगा। अपने शिक्षकों का चहेता बनेगा।खुद के सर्वश्रेष्ठ होने का गर्व भी करेगा। शरारत  कम करेगा लेकिन मन  ही मन उद्ग्विन रहेगा।
 कमज़ोर सूर्य वाला बच्चा सदैव चिंतित रहेगा । पढाई में अच्छा होने के बावजूद  परीक्षा या प्रतियोगिता के काफी समय पूर्व ही उसकी चिंता  में रहेगा बल्कि परीक्षा /प्रतियोगिता के दिन भी बहुत तनाव में रहेगा। पिता के ना रहने पर या पिता से सम्बन्ध अच्छे ना होने पर भी सूर्य कमज़ोर हो सकता है।
     अपने स्कूल बैग को समय से पहले ही तैयार रखेगा। उसे अपनी अलमारी /बैग में कोई अवांछित चीज़ सहन नहीं होगी।  गीत संगीत सुनने से दूर रहेगा और सुनेगा तो थोड़े धार्मिक संगीत।  नज़र का चश्मा भी जल्दी लग सकता है।
   अगर किसी बच्चे में ऐसा कोई लक्षण है तो उसे संतरी रंग के सरहाने के कवर और रुमाल दिए जाएँ। ताम्बे के गिलास में पानी पिलाया जाये। अगर दृष्टि दोष अधिक  हो तो वजन के बराबर गेहूं का दान किया जाये। बच्चे से गायत्री मंत्र का जाप करवाया जाये। अगर नहीं कर सकता तो सुबह जब स्कूल के लिए तैयार होते समय म्यूज़िक प्लेयर पर गायत्री मंत्र की सीडी चला दी जाये।

     चन्द्रमा :--चन्द्रमा से प्रभावित बच्चा बहुत प्यारा, आकर्षक, भावुक और अति कल्पनाशील होगा। बात -बात पर रूठना, रोना या किसी की भी बात को दिल से लगा कर ना भूलने वाला और बार-बार दोहराने वाला होगा। बहुत जल्द गला खराब होना,जुकाम -नज़ले की शिकायत  हो सकती है। चंचल होगा लेकिन शरारती नहीं होगा।
       चन्द्रमा के अच्छे होने या ना होने का सम्बन्ध हम उसके, उसकी माँ के साथ कैसा रिश्ता है, देख कर पहचान सकते हैं। अगर जन्म से माँ का साथ छूट जाये तो बच्चे का चन्द्रमा कमजोर हो जाता है। क्यूंकि माँ ही मन को समझ सकती है और चन्द्रमा मन को ही प्रभावित करता है। अगर माँ का साथ जन्म से ही छूट जाये तो बच्चा भावुक होगा।बड़े होने पर अवसाद ग्रस्त हो सकता है। शक/वहम् या फोबिया जैसी समस्याओं से ग्रसित हो सकता है।
       लेकिन अगर माँ का साथ है तो भी बच्चे में यह लक्षण  मिलते हैं तो माँ को बच्चे के साथ अधिक समय बिताना चाहिए।  भावुकता से परे  भी एक दुनिया है यह उसे दृढ़ता से समझाए। चांदी  के गिलास में पानी और दूध का सेवन करवाए। केवड़े का एसन्स की खुशबु सूंघने को दे और दिन में एक बार कुछ बूंदे पानी में डाल कर भी पिलाएं। सोमवार को मंदिर में एक मुट्ठी चावल और एक गिलास दूध का दान भी करें। शिव चालीसा / स्त्रोत का पाठ, सोमवार का व्रत और महामृत्युञ्जय का पाठ या श्रवण अनुकूल रहेंगे।
मंगल :-- मंगल से प्रभावित बच्चा मज़बूत कद काठी का, अपनी उम्र से बड़ा दिखेगा। कद भी सामान्य से लम्बा, ऊर्जा से भरपूर होगा। पढाई में, खेल में अच्छा होगा। ईमानदार, सत्यवादी होगा और हमेशा न्याय करेगा। पुलिस / सेना या उच्च प्रशासनिक सेवा में पद प्राप्त करता है।
      मंगल के दूषित हो जाने पर बच्चा बहन /भाइयों से दिखावे का प्यार रखेगा।  ज़िद्दी होगा। शरारती हो सकता है। शरारत भी कैसी ? तोड़/फोड़ वाली या मार /पीट की प्रवृत्ति वाली। सभी जगहों से हर दिन शिकायत मिलती है। बड़ा होने पर झूठ बोलने की प्रवृत्ति भी देखी गई है।  नशे और अपराध की तरफ झुकाव भी हो सकता है।
       अगर ऐसा है तो सबसे पहले बच्चे के ऊर्जा के स्तर को संतुलित करना चाहिए।अगर छोटा है और स्कूल नहीं जाता है तो उसे छोटी बॉल ला कर दीजिये और उसे दीवार पर मारने को कहें  या बॉल को फुटबॉल की तरह खेलने को कहें। लाल रंग से परहेज करें। स्कूल जाता है तो स्कूल में ही खेलों में भाग लेने में प्रेरित करें। ताम्बे के गिलास में पानी दें। ज़िद्द की तरफ अधिक ध्यान ना दे बल्कि जीवन में कुछ पाने के उद्देश्य को ज़िद में बदल दे। हनुमान जी के दर्शन करवाएं। हनुमान चालीसा सुन्दर कांड के पाठ का श्रवण कराएं।
        कमजोर मंगल से बच्चा दब्बू प्रवृत्ति का हो जाता है। दुबला/पतला, बुझा सा, ऊर्जा हीन दिखता है। यहाँ झूठ बोलने की प्रवृत्ति भी होगी। सच का सामना नहीं करेगा बल्कि पीठ पीछे वार की प्रवृत्ति रखेगा। मतलब कि दोहरे चेहरे वाला। ऐसे में बच्चे को सच बोलने के लिए प्रवृत्त करें। हाथ में लाल रंग का धागा या कलावा बाँध कर रखें। हनुमान जी की शरण में ले जाएँ। मसूर की दाल खिलाएं। ताम्बे के गिलास में पानी का सेवन भी करवाएं।


बुध :-- बुध ग्रह बुद्धि, वाणी, चर्म रोग का कारक होता है। बुध से प्रभावित बच्चे वाचाल होते हैं। अगर चंद्रमा का साथ मिल जाये तो अति कल्पनाशील भी हो जाते हैं।
        कमज़ोर बुध बच्चे की वाणी और लेखन को प्रभावित करेगा।बच्चा हकलाना,तुतलाना और प्रभावहीन वाणी , चर्म रोग , स्नायु रोग , कमजोर याददाश्त, दांतो के रोग और आलस्य आदि  से ग्रसित रहेगा। कटु भाषा का प्रयोग करेगा।
         कुंडली का अच्छा बुध बच्चे को बुद्धिमान, वाक्पटु , हाजिरजवाब और  हंसमुख बनाएगा।
       अगर बच्चा बुध के बुरे प्रभाव में हो तो हरी वस्तुओं का प्रयोग करें। भोजन में भी हरी-पत्ते वाली सब्जी का प्रयोग करें। हरी मूंग दाल का सेवन। हरी चारद बिछा कर सुलाएं। तांबे के गिलास में पानी का सेवन भी करवाएं। गणेश जी और दुर्गा माँ का पूजन-दर्शन करवाएं।
       कई बार बुध को केंद्र-अधिपत्य का दोष लग जाता है तो भी बच्चे की वाणी , त्वचा और बुद्धिमत्ता प्रभावित होती है। ऐसे में बच्चा बहुत अधिक वाचाल होकर कटुशब्दों का प्रयोग करेगा। याददाश्त भी प्रभावी होगी। ऐसी स्थिति में बच्चे के हाथों हरी वस्तुओं का दान करवाएं। तांबे के बर्तन में मूंगदाल का दान करवाएं। दुर्गा चालीसा  और  गणेश चालीसा का पाठ भी उचित रहेगा।
    ॐ शांति।