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Wednesday, February 29, 2012

चंद्रमा और महिलायें

  किसी भी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है .और स्त्री की कुंडली में इसका महत्व और भी अधिक है .
चन्द्र राशि से स्त्री का स्वभाव ,प्रकृति ,गुण -अवगुण आदि निर्धारित होते है .
चंद्रमा माता ,मन ,मस्तिष्क ,बुद्धिमता ,स्वभाव ,जननेन्द्रियों ,प्रजनन सम्बन्धी रोगों,गर्भाशय  अंडाशय ,मूत्र -संस्थान छाती और स्तन कारक है .इसके साथ ही स्त्री के मासिक -धर्म ,गर्भाधान एवं प्रजनन आदि महत्वपूर्ण क्षेत्र भी इसके अधिकार क्षेत्र में आते है

 चंद्रमा मन का कारक है ,इसका निर्बल और दूषित होना मन एवं मति को भ्रमित कर किसी भी इंसान को पागल तक बना सकता है .
कुंडली में चंद्रमा की कैसी स्थिति होगी यह किसी भी महिला के आचार -व्यवहार से जाना जा सकता है .
अच्छे चंद्रमा की स्थिति में कोई भी महिला खुश -मिजाज़ होती है ,चेहरे पर चंद्रमा की तरह ही उजाला होता है ,यहाँ गोरे रंग की बात नहीं की गयी है  क्यूँ की यहाँ पर चंद्रमा की विभिन्न ग्रहों के साथ युति का अलग -अलग प्रभाव हो सकता है .
कुंडली का अच्छा चंद्रमा किसी भी महिला को सुहृदय ,कल्पनाशील और एक सटीक विचार धारा युक्त करता है .


अच्छा चन्द्र महिला को धार्मिक और जनसेवी भी बनाता है .........
लेकिन किसी महिला की कुंडली मे यही चन्द्र नीच का हो जाये या किसी पापी ग्रह के साथ या अमावस्या का जन्म को या फिर क्षीण हो तो महिला सदैव भ्रमित ही रहेगी .
हर पल एक भय सा सताता रहेगा या उसको लगता रहेगा कोई उसका पीछा कर रहा है या कोई भूत -प्रेत का साया उसको परेशान कर रहा है .
कमजोर  या नीच का चन्द्र किसी भी महिला को भीड़ भरे स्थानों से दूर रहने को उकसाएगा और एकांतवासी कर देता है धीरे -धीरे ..........

महिला को  एक चिंता सी सताती रहती है जैसे कोई अनहोनी होने वाली है ,बात -बात पर रोना या हिस्टीरिया जैसी बीमारी से भी ग्रसित हो सकती है, बहुत चुप रहने लगती या बहुत ज्यादा बोलना शुरू कर देती है ,ऐसे में तो ना केवल घर -परिवार और आस पास का माहौल ख़राब होता ही है निस्संदेह रूप से क्यूँ कि वह हर किसी को संदेह कि नज़रों से देखती है ,
बार -बार हाथ धोना ,अपने बिस्तर पर किसी को हाथ नहीं लगाने  देना और कई -कई देर तक नहाना भी कमजोर चन्द्र कि निशानी है .
ऐसे में जन्म -कुंडली का अच्छे से विश्लेष्ण करवाकर उपाय करवाना चाहिए .........
अगर किसी महिला के पास कुंडली नहीं हो तो ये सामान्य उपाय किये जा सकते है ,जैसे शिव आराधना ,अच्छा मधुर संगीत सुने,कमरे में अँधेरा ना रखे ,हलके रंगों का प्रयोग करें .
पानी में केवड़े का एसेंस डाल कर पियें .सोमवार को  (हर एक )एक गिलास ढूध और एक मुट्ठी चावल का दान मंदिर में दे ,और घर में बड़ी उम्र की महिलाओं के रोज़ चरण -स्पर्श करते हुए उनका आशीर्वाद अवश्य लें ...............
अगर हो सके चांदी के गिलास में पानी और ढूध पियें, छोटी वाली ऊँगली में चांदी का गोल छल्ला पहने (पर यह तब करना है जब कुंडली दिखाई गयी हो और उसमे बताया हो ).
छोटे बच्चों के साथ बैठने से भी चंदमा अनुकूल होता है
और सबसे बड़ी बात है दृढ -निश्चय .....यह ही किसी इंसान को भ्रम कि स्थिति से बाहर निकाल  सकती है ..........

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