मेरा ये जीवन नौ ग्रहों से
है घिरा हुआ
चारों तरफ ,इर्द -गिर्द ,
मैंने इनको माला के मोतियों
की तरह संतुलन के साथ
बैठा रखा है ...!
सूरज को दिल में तो
चन्द्र को मन में बसा रखा है ,
मंदिर जाती हूँ तो गुरु को
साथ ले जाती हूँ
नयन जब कभी
मय-छलकाने लगते है
तो शुक्र को कान पकड
कर धमका भी देती हूँ ...
शनि -मंगल ने मेरा साथ
कभी न छोड़ा है
बुध की कोई परवाह नहीं ,
इसे तो मैंने दांतों से पकड़
रखा है
राहू और केतु इनसे तो
राहू और केतु इनसे तो
मैं नाराज ही रहती हूँ ,
ये मुझसे ही डरते है ...
ये सारे ग्रह मेरा जीवन
संचालित करते है और
मैं इनको .........!!
AK ACHHI RACHANA KE LIYE HARDIK BADHAI
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका नवीन जी
ReplyDeletethank u so much naveen ji
ReplyDeletevery nice
ReplyDeletebahut shukriya ji
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