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Thursday, August 30, 2012

ज्योतिष द्वारा चोरी गयी वस्तू का ज्ञान ...

कभी -कभी घरों में छोटी मोटी  चोरी की घटना घट जाती है। तब  एक छट -पटाहट  सी रहती है ,चोर कौन हो सकता है। ज्योतिष द्वारा इसका सटीक पता  प्रश्न  कुंडली से लगाया जाता है।
जब भी चोरी का पता लगता है उस समय को नोट कर लीजिये। अगर किसी को जन्मकुंडली देखने का ज्ञान है तो ठीक है नहीं तो किसी भी ज्योतिष के पास समय को बता कर समस्या का समाधान किया जा सकता है।
 चोरी होने की सूचना मिलते ही  तुरंत प्रश्न कुंडली बनायें।
मेष या वृषभ लग्न ----पूर्व दिशा 
मिथुन लग्न         ----- अग्नि कोण 
कर्क लग्न             ---- दक्षिण 
 सिंह लग्न ------------ नैरित्य कोण 
कन्या लग्न --------- उत्तर दिशा 
 तुला और वृश्चिक लग्न -- पश्चिम दिशा 
धनु लग्न ------------ वायव्य कोण 
 मकर और कुम्भ लग्न ---उत्तर दिशा 
मीन लग्न ------------इशान कोण 
उपरोक्त लग्नो में खोयी वस्तु ,उसके दिखाए गए लग्नो के सामने की दिशा में गयी है।
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अब सवाल उठता है चोरी करने वाला कौन हो सकता है तो नीचे लिखे लग्नो के आधार पर पता लगाया जा सकता है।
मेष लग्न ---ब्राह्मण या सम्मानीय भद्र पुरुष 
वृषभ लग्न--क्षत्रिय 
मिथुन लग्न -----वेश्य 
कर्क लग्न -------शुद्र या सेवक वर्ग 
सिंह लग्न ------स्वजन या आत्मीय व्यक्ति 
कन्या लग्न---- कुलीन स्त्री ,घर की बहू  -बेटी  या बहन 
तुला लग्न ----पुत्र ,भाई या जमाता 
वृश्चिक लग्न-- इतर जाति का व्यक्ति 
धनु लग्न ---स्त्री 
मकर लग्न ---वेश्य या व्यापारी 
कुम्भ लग्न---चूहा 
मीन लग्न----खोयी घर में ही पड़ी है कहीं ( मिस-प्लेस )
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यह सब जानने  के बाद यह भी प्रश्न उठता है , जो सामान चोरी हुआ है वह मिलेगा या नहीं ? इसके लिए प्रश्न कुंडली में चंद्रमा की स्थिति देखी  जाती है। यहाँ पर चंद्रमा को मालिक और  सातवें  भाव को चोर माना जाता है।चौथे भाव को धन -प्राप्ति  की जगह और लग्न -भाव को चोरी गया सामान माना जाता है।
1) लग्न -भाव का स्वामी अगर सातवें घर या उसके स्वामी के साथ हो तो कोशिश करने पर चोरी गया धन मिल जाता है।
2)अगर लग्न -भाव का स्वामी अष्ठम में हो तो चोर खुद ही चोरी की गयी वस्तु  लौटा देगा।लेकिन ग्रह  अस्त होगा तो चोरी का पता चलेगा पर वस्तु नहीं मिलेगी।
3)लग्न-भाव का स्वामी दसवें घर के स्वानी के साथ है तो चोर माल सहित पकड़ा जायेगा।
4) अगर लग्नेश की दृष्टि दसवें घर के स्वामी पर नहीं पद रही हो तो चोरी गयी वस्तु नहीं मिलेगी।
5)अगर सातवें घर का स्वामी सूर्य के साथ अस्त हो तो बहुत समय बाद चोर का तो पता चल जायेगा पर वास्तु नहीं मिलेगी।
6)अगर सप्तमेश और लग्नेश साथ में हो तो चोर  राज भय से डर  कर खुद ही माल को दे देता है।
7)अगर  सप्तमेश  पर लग्नेश की दृष्टि ना पड़  रही हो तो ना चोर को लाभ लाभ होता है ना मालिक को ,माल को     मध्यस्थ ही  हड़प लेता है।
8)प्रश्न कुंडली में अष्ठम भाव चोर के धन रखने का स्थान होता है इसलिए अगर धन भाव  का  स्वामी अष्ठम में ही बैठा हो तो माल नहीं मिलेगा।और अगर धन भाव का स्वामी सप्तम में हो तो भी माल नहीं मिलता क्यूँ कि "चंद्रास्वामी चोर सप्तम "  के अनुसार  सप्तम भाव स्वयं  चोर है।
9) धनेश अगर अष्टमेश के साथ हो तो धन मिल जाता है।
10) अगर अष्टमेश ,दशमेश के साथ हो तो राज-पुरुष चोर का पक्षपाती ही माल नहीं मिलेगा।
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अब चोरी हुई वस्तु कहाँ छिपाई गयी है इस पर विचार करते हैं।
1) लग्नेश और सप्तमेश  का आपस में परिवर्तन  या दोनों एक ही भाव में हो तो वस्तु घर में ही कहीं छुपी या छुपाई गयी है।
2) चंद्रमा अगर लग्न में हो तो वस्तु  पूर्व दिशा में होगी और अगर सप्तम में हो तो वस्तु पश्चिम में मिलेगी।चंद्रमा अगर दशम ने हो तो दक्षिण और चतुर्थ में हो तो वस्तु  उत्तर दिशा में मिलेगी।
3) अगर लग्न में अग्नितत्व राशि ( मेष ,सिंह ,धनु ) हो तो वस्तु घर के पूर्व,अग्नि -स्थान , रसोई घर में ही मिल जाती है।
4 ) लग्न में अगर पृथ्वी -तत्व राशि ( वृषभ ,कन्या ,मकर ) हो तो वस्तु दक्षिण दिशा में भूमि में दबी मिलेगी।
5 ) अगर लग्न में वायु -तत्व राशि  ( मिथुन ,तुला कुम्भ ) हो तो वस्तु पश्चिम दिशा में हवा में लटकाई गयी है।
6 )लग्न में जल-तत्व राशि ( कर्क ,वृश्चिक ,कुम्भ )  हो तो वस्तु जलाशय के पास या उसके आस-पास उत्तर दिशा में मिलेगी।
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ग्रहों के हिसाब से चोर कौन है और कितनी उम्र का है ये भी पता लगाने की कोशिश करते हैं।
1) प्रश्न -कुंडली में यदि लग्न पर सूर्य-चन्द्र दोनों की दृष्टि पड़ रही हो तो वस्तु  किसी घर के व्यक्ति ने ही चुराई है।और यदि लग्नेश ,सप्तमेश से युक्त हो कर लग्न में हो तो भी चोरी किसी घर के व्यक्ति ने ही की है।
2)लग्न पर सूर्य या चन्द्र किसी एक ही की दृष्टि पड़ रही हो तो वस्तु किसी आस पास रहने वाले व्यक्ति ने चुराई है।
3)अगर सप्तमेश द्वादश या तृतीय स्थान में हो तो घर के नौकर ने चोरी की है।
4 )अगर सप्तमेश स्वग्रही या अपनी उच्च राशि में हो तो चोरी पेशेवर चोर ने की है। यहाँ पर चोर की शक्ति का ज्ञान लग्न,सप्तम और दशम भाव के बल के अनुसार करना चाहिए।
5) प्रश्न -कुंडली में अगर सूर्य बलवान हो तो पिता या पितातुल्य व्यक्ति ,चंद्रमा बलि हो तो माँ या मातातुल्य  महिला ,शुक्र बली हो तो महिला ,वृहस्पति बलि हो तो घर के मालिक ने ,शनि बलि हो तो पुत्र ने और मंगल बलि हो तो भाई या सगा भतीजा तथा बुध बलवान हो तो मित्र या मित्र -सम्बन्धियों ने चोरी की है।
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लग्न में अगर शुक्र ----युवक 
                      बुध ---- बालक 
                    गुरु -----वृद्ध 
                   मंगल--युवक 
                  शनि --- वृद्ध ....चोर है।
लग्न और दशम भाव के मध्य सूर्य है तो चोर बालक है। दशम भाव और सप्तम भाव के मध्य  सूर्य हो तो चोर युवक है। लग्न और चतुर्थ भाव के मध्य सूर्य हो तो चोर अत्यंत वृद्ध है।

ॐ शांति।...............

शब्द साभार।

Sunday, August 26, 2012

कुछ आसान और जरुरी बातें ( 1 )

जन्म-दिन पर किया जाने वाला कर्म
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जन्म  -दिन वाले दिन सुबह-सुबह ,जिस किसी का भी जन्म -दिन हो , एक नारियल ( पानी वाला )ले कर उस पर मोली लपेट कर ,घडी की उलटी दिशा ( एंटी क्लोक वाइज़ )में सात बार घुमाएं और बहते हुए पानी में छोड़ दें। और इस दिन जातक के वजन के बराबर गायों को हरा चारा भी  डाल  दें।साल भर सुख-शान्ति बनी रहती है।

आकस्मिक विपदा से बचाव
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कई बार अचानक विपदा आती है या कभी निर्दोष होते हुए भी बहुत गम्भीर आरोपों का सामना करना पड  जाता है।तो सबसे सरल उपाय है सुन्दर -काण्ड का पाठ। यह  नौ  दिन करना होता है। पहले दिन एक पाठ , दूसरे  दिन दो पाठ  ऐसे ही दिन के साथ-साथ पाठों की संख्या बढती जाएगी। नवें दिन पाठ समाप्त करके एक वृद्ध ब्राह्मण को भोजन करवा कर उसे -वस्त्र - दक्षिणा आदि दें। बहुत कारगार उपाय है ये ,  नौ  दिन अखंड ज्योति जरुर जलना चाहिए और ये पाठ स्वयं  ही करें किसी पंडित से ना करवाएं।

झगडे से तुरंत बचाव का उपाय
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अगर कभी कंही ( किसी भी जगह ,चाहे सार्वजनिक हो या घर या ऑफिस ) कोई बात तर्क-वितर्क से बढ़ कर बहस और फिर झगडे का रूप लेने वाली हो तो वहां " ॐ शांति " का जाप कर लेना चाहिए। इसका ग्यारह से इक्कीस बार जाप ही पर्याप्त है। जिन घरों में गृह -कलह की स्थिति बनी रहती है ,वहां पर कोई भी घर का सदस्य एक माला ( एक सौ आठ बार ) का जाप अवश्य कर ले।

खज़ाना चाहिए तो गुप्त दान कीजिये 
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कहा जाता है अगर खज़ाना चाहिए तो गुप्त दान करना चाहिए। इसके लिए एक मिटटी का गुल्लक चाहिए होता है। इस गुल्लक में जब भी घर के किसी भी सदस्य का जन्म-दिन हो या जब घर में व्रत - अनुष्ठान हो तो कुछ धन राशि अपनी इच्छा के अनुसार इसमें डालते रहिये। और एक साल के बाद किसी भी जरूरत-मंद को दे दीजिये। और फिर एक नया गुल्लक ले आइये। जब हम किसी जरूरत-मंद को ये गुल्लक देतें है उसके चेहरे की ख़ुशी किसी खजाने से कम तो ना होगी। और एक साथ हम ,कई बार किसी की सहायता कर भी नहीं सकते।हो सकता उसका आशीर्वाद एक दिन सचमुच ही हमें खजाना दिलवा ही दें।

कुंडली ना हो तो भी ग्रहों को अनुकूल किया जा सकता है
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अक्सर इंसान बहुत सी परेशानी से  जूझता रहता है और सोचता है के काश उसके पास जन्म-कुंडली हो तो किसी से पूछ लेता ( यह भी एक कटु -सत्य है एक हारा हुआ इंसान ही ज्योतिष के पास ही जाता है ,नहीं तो वो खुद ही चाँद-तारे अपनी झोली में लिए घूमता है ) ....
मेरा मानना है अगर इन्सान अपने आचार व्यवहार सही रखे तो ग्रह  अपने आप ही अनुकूल हो जाते है।
1)   माता-पिता की सेवा ( सूर्य-चन्द्र)
2)   गुरु और वृद्ध जानो के प्रति सेवा और आदर भाव ( वृहस्पति)
3)   देश -भक्ति की भावना ( शनि )
4) मजबूर और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के प्रति स्नेह भाव ( शनि )
5) अपने रक्त -सम्बन्धियों ,बहन-भाई आदि के साथ स्नेह और कर्तव्य भाव ( मंगल)
6) नारी जाति के प्रति सम्मान और श्रद्धा भाव ( शुक्र)
7) मधुर और अच्छी भाषा का प्रयोग ( बुध)
8) इस धरा के समस्त प्राणी -मात्र के प्रति दया भाव ( राहू-केतु)
उपरोक्त बातें अगर कोई भी इंसान अपने जीवन में उतार लेता  है तो ...ना ही कभी कोई दुःख पास आएगा और ना ही किसी ज्योतिष के पास जाने की जरुरत ही पड़ेगी ....

ॐ शांति ....
उपासना सियाग

Friday, August 24, 2012

वृहस्पति ग्रह और महिलाये

वृहस्पति  एक शुभ और सतोगुणी ग्रह है। क्यूँ कि  यह आकर में सबसे बड़ा है , अन्य ग्रहों से , इसलिए इसे गुरु की संज्ञा भी दी गयी है और वृहस्पति देवताओं के गुरु भी थे।
वृहस्पति बुद्धि ,विद्वता ,ज्ञान ,सदगुणों ,सत्यता ,सच्चरित्रता ,नैतिकता ,श्रद्धा ,समृद्धि ,सम्मान .दया एवं न्याय का नैसर्गिक कारक होता है।
किसी भी स्त्री के लिए  यह पति ,दाम्पत्य ,पुत्र और घर -गृहस्थी का कारक होता है।
अशुभ  ग्रहों के साथ या दूषित वृहस्पति स्त्री को स्वार्थी ,  लोभी और क्रूर विचार धारा  की बना देता है।दाम्पत्य-जीवन भी दुखी होता है और पुत्र-संतान की भी कमी होती है। पेट और आँतों से सम्बन्धित रोग भी पीड़ा दे सकते है।
जन्म- कुंडली में शुभ वृहस्पति किसी भी स्त्री को धार्मिक ,न्याय प्रिय और ज्ञान वान  पति -प्रिय और उत्तम संतान वती बनाता  है। स्त्री विद्वान होने के साथ -साथ  बेहद विनम्र भी होती है।
मैंने बहुत बार यह भी देखा है, यह कुंडली में शुभ होते हुए भी उग्र रूप धारण कर लेता है तो स्त्री में विनम्रता की जगह अहंकार भर जाता है। वह अपने सामने ,किसी और को तुच्छ समझती है क्यूँ की वृहस्पति के कारन ज्ञान की सीमा ही नहीं होती ,वह सिर्फ अपनी ही बात पर विश्वास करती है।

 अपने इसी व्यवहार के कारण वह घर और आस-पास के वातावरण से कटने  भी लग जाती है और धीरे- धीरे अवसाद की और घिरने लग जाती है क्यूँ की उसे खुद ही मालूम नहीं होता की उसके साथ ऐसा क्यूँ हो रहा है वह तो आपकी बात ही तो रख रही होती है।
 और यही अहंकार उसमे  में मोटापे का कारक  भी बन जाता है।  वैसे तो अन्य  ग्रहों के कारण  भी मोटापा आता है पर वृहस्पति जन्य मोटापा अलग से पहचान आता है यह शरीर में थुल थूला पन  अधिक लाता है।क्यूँ की वृहस्पति शरीर में मेद  कारक भी है तो मोटापा आना स्वाभाविक ही है।
अगर ऐसा किसी स्त्री के साथ हो तो  वह सबसे पहले अपनी जन्म -कुंडली का किसी अच्छे  ज्योतिषी से विश्लेष्ण करवा लें।
कमजोर वृहस्पति हो तो पुखराज रत्न धारण किया जा सकता है पर किसी ज्योतिषी की राय ले कर ही। गुरुवार का व्रत रखा जा सकता है। सोने का धारण,पीले रंग का धारण औरपीले भोजन  सेवन किया जा सकता है। एक चपाती पर एक चुटकी हल्दी लगाकर खाने से भी वृहस्पति अनुकूल हो सकता है।
उग्र वृहस्पति को शांत करने   के  लिए वृहस्पति वार का व्रत करना , पीले रंग और पीले रंग के भोजन से परहेज करना चाहिए बल्कि उसका दान करना चाहिए ,केले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए और विष्णु -भगवान् को केले अर्पण करना चाहिए। और छोटे बच्चों ,मंदिर में केले का दान और गाय को केला खिलाना चाहिए।
अगर दाम्पत्य जीवन कष्मय हो तो हर वृहस्पति वार को एक चपाती पर आटे  की लोई में थोड़ी सी हल्दी ,देशी घी और चने की दाल ( सभी एक चुटकी मात्र ही ) रख कर गाय को खिलाये।
कई बार पति-पत्नी अगल -अलग जगह नौकरी करते हैं और चाह  कर भी एक जगह नहीं रह पाते तो पति -पत्नी दोनों को ही गुरुवार को चपाती पर गुड की डली  रख कर गाय को खिलाना चाहिय।
और सबसे बड़ी बात यह के झूठ  से जितना परहेज किया जाय ,बुजुर्गों और अपने गुरु ,शिक्षकों के प्रति जितना  सम्मान किया जायेगा उतना ही वृहस्पति अनुकूल होता जायेगा।
ॐ शांति ......

Thursday, August 16, 2012

महिलाएं और बुध ग्रह

बुध ग्रह  एक शुभ और रजोगुणी प्रवृत्ति का है।यह किसी भी स्त्री में बुद्धि ,निपुणता ,वाणी .वाक्शक्ति ,व्यापार ,विद्या में बुद्धि का उपयोग तथा मातुल पक्ष का नैसर्गिक करक है। यह द्विस्वभाव ,अस्थिर और नपुंसक ग्रह होने के साथ - साथ शुभ होते हुए भी जिस ग्रह  के साथ स्थित होता है ,उसी प्रकार के फल देने लगता है। अगर शुभ ग्रह के साथ हो तो शुभ ,अशुभ ग्रह  के अशुभ प्रभाव देता है।
 अगर यह पाप ग्रहों के  दुष्प्रभाव में हो तो स्त्री कटु भाषी , अपनी बुद्धि से काम न लेने वाली यानि दूसरों की बातों में आने वाली या हम कह सकते हैं के कानो की कच्ची ...!,  जो घटना घटित भी ना हुई उसके लिए पहले से ही चिंता करने वाली और चर्मरोगों से ग्रसित हो जाती है।
क्यूँ की बुध बुद्धि का परिचायक  भी है अगर यह दूषित चंद्रमा के प्रभाव में आ जाता है तो स्त्री को आत्मघाती कदम की तरफ भी ले जा सकता है।
यहाँ मैं यह स्पष्ट कर देना चाहती  हूँ ,यहाँ  मेरा किसी भी महिला पर दोषारोपण करने का प्रयास नहीं है बल्कि मैंने बहुत सी महिलाओं में यह प्रवृत्ति देखी और उनको घुटते देखा है। वे कहती है कि  उनके मन में कुछ नहीं होता फिर भी वो बोले बिना नहीं रहती और फिर बोलते ही विवाद हो जाता है। तो यहाँ दूषित बुध का ही परिणाम होता है।
यह सूर्य के साथ हो कर भी अस्त नहीं होता। और बुध -आदित्य योग का निर्माण करता है।
जिस किसी भी स्त्री का बुध शुभ प्रभाव में होता है वे अपनी वाणी के द्वारा जीवन की सभी उच्चाईयों को छूती है ,अत्यंत बुद्धिमान ,विद्वान् और चतुर और एक अच्छी  सलाहकार साबित होती है।व्यापार में भी अग्रणी तथा कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सम्स्याओं का हल निकल लेती है।
यह एक सामान्य विश्लेष्ण है ,बुध ग्रह  के  शुभ- अशुभ प्रभाव का। जन्म-कुंडली के अलग- अलग भावों और अलग - अलग ग्रहों के साथ होने पर इसका प्रभाव कम या ज्यादा भी हो सकता है। अगर जन्म कुंडली है तो उसका एक अच्छे  ज्योतिष से विश्लेष्ण करवा कर उपाय करवा लेना चाहिए। अगर जरुरी हो तो 'पन्ना' रत्न  छोटी वाली ऊँगली में पहना जा सकता है। गणेश जी और दुर्गा माँ की आराधना करनी चाहिए।
हरे मूंग ( साबुत ), हरी  पत्तेदार सब्जी  का सेवन और दान ,हरे वस्त्र को धारण और दान देना भी उपुयक्त रहेगा। तांबे के गिलास में जल पीना चाहिए। अगर कुंडली ना हो और मानसिक अवसाद ज्यादा रहता हो तो सफ़ेद और हरे रंग के धागे को आपस में मिला कर अपनी कलाई में बाँध लेना चाहिए।
ॐ शांति ....