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Friday, August 24, 2012

वृहस्पति ग्रह और महिलाये

वृहस्पति  एक शुभ और सतोगुणी ग्रह है। क्यूँ कि  यह आकर में सबसे बड़ा है , अन्य ग्रहों से , इसलिए इसे गुरु की संज्ञा भी दी गयी है और वृहस्पति देवताओं के गुरु भी थे।
वृहस्पति बुद्धि ,विद्वता ,ज्ञान ,सदगुणों ,सत्यता ,सच्चरित्रता ,नैतिकता ,श्रद्धा ,समृद्धि ,सम्मान .दया एवं न्याय का नैसर्गिक कारक होता है।
किसी भी स्त्री के लिए  यह पति ,दाम्पत्य ,पुत्र और घर -गृहस्थी का कारक होता है।
अशुभ  ग्रहों के साथ या दूषित वृहस्पति स्त्री को स्वार्थी ,  लोभी और क्रूर विचार धारा  की बना देता है।दाम्पत्य-जीवन भी दुखी होता है और पुत्र-संतान की भी कमी होती है। पेट और आँतों से सम्बन्धित रोग भी पीड़ा दे सकते है।
जन्म- कुंडली में शुभ वृहस्पति किसी भी स्त्री को धार्मिक ,न्याय प्रिय और ज्ञान वान  पति -प्रिय और उत्तम संतान वती बनाता  है। स्त्री विद्वान होने के साथ -साथ  बेहद विनम्र भी होती है।
मैंने बहुत बार यह भी देखा है, यह कुंडली में शुभ होते हुए भी उग्र रूप धारण कर लेता है तो स्त्री में विनम्रता की जगह अहंकार भर जाता है। वह अपने सामने ,किसी और को तुच्छ समझती है क्यूँ की वृहस्पति के कारन ज्ञान की सीमा ही नहीं होती ,वह सिर्फ अपनी ही बात पर विश्वास करती है।

 अपने इसी व्यवहार के कारण वह घर और आस-पास के वातावरण से कटने  भी लग जाती है और धीरे- धीरे अवसाद की और घिरने लग जाती है क्यूँ की उसे खुद ही मालूम नहीं होता की उसके साथ ऐसा क्यूँ हो रहा है वह तो आपकी बात ही तो रख रही होती है।
 और यही अहंकार उसमे  में मोटापे का कारक  भी बन जाता है।  वैसे तो अन्य  ग्रहों के कारण  भी मोटापा आता है पर वृहस्पति जन्य मोटापा अलग से पहचान आता है यह शरीर में थुल थूला पन  अधिक लाता है।क्यूँ की वृहस्पति शरीर में मेद  कारक भी है तो मोटापा आना स्वाभाविक ही है।
अगर ऐसा किसी स्त्री के साथ हो तो  वह सबसे पहले अपनी जन्म -कुंडली का किसी अच्छे  ज्योतिषी से विश्लेष्ण करवा लें।
कमजोर वृहस्पति हो तो पुखराज रत्न धारण किया जा सकता है पर किसी ज्योतिषी की राय ले कर ही। गुरुवार का व्रत रखा जा सकता है। सोने का धारण,पीले रंग का धारण औरपीले भोजन  सेवन किया जा सकता है। एक चपाती पर एक चुटकी हल्दी लगाकर खाने से भी वृहस्पति अनुकूल हो सकता है।
उग्र वृहस्पति को शांत करने   के  लिए वृहस्पति वार का व्रत करना , पीले रंग और पीले रंग के भोजन से परहेज करना चाहिए बल्कि उसका दान करना चाहिए ,केले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए और विष्णु -भगवान् को केले अर्पण करना चाहिए। और छोटे बच्चों ,मंदिर में केले का दान और गाय को केला खिलाना चाहिए।
अगर दाम्पत्य जीवन कष्मय हो तो हर वृहस्पति वार को एक चपाती पर आटे  की लोई में थोड़ी सी हल्दी ,देशी घी और चने की दाल ( सभी एक चुटकी मात्र ही ) रख कर गाय को खिलाये।
कई बार पति-पत्नी अगल -अलग जगह नौकरी करते हैं और चाह  कर भी एक जगह नहीं रह पाते तो पति -पत्नी दोनों को ही गुरुवार को चपाती पर गुड की डली  रख कर गाय को खिलाना चाहिय।
और सबसे बड़ी बात यह के झूठ  से जितना परहेज किया जाय ,बुजुर्गों और अपने गुरु ,शिक्षकों के प्रति जितना  सम्मान किया जायेगा उतना ही वृहस्पति अनुकूल होता जायेगा।
ॐ शांति ......

3 comments:

  1. अच्छी जानकारी,कृपया कर और विस्तार से बताएं.

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  2. बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने उपासना सखी .....

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  3. ..बहुत महत्वपूर्ण एवं सटीक जानकारी...

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