जन्म-दिन पर किया जाने वाला कर्म
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जन्म -दिन वाले दिन सुबह-सुबह ,जिस किसी का भी जन्म -दिन हो , एक नारियल ( पानी वाला )ले कर उस पर मोली लपेट कर ,घडी की उलटी दिशा ( एंटी क्लोक वाइज़ )में सात बार घुमाएं और बहते हुए पानी में छोड़ दें। और इस दिन जातक के वजन के बराबर गायों को हरा चारा भी डाल दें।साल भर सुख-शान्ति बनी रहती है।
आकस्मिक विपदा से बचाव
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कई बार अचानक विपदा आती है या कभी निर्दोष होते हुए भी बहुत गम्भीर आरोपों का सामना करना पड जाता है।तो सबसे सरल उपाय है सुन्दर -काण्ड का पाठ। यह नौ दिन करना होता है। पहले दिन एक पाठ , दूसरे दिन दो पाठ ऐसे ही दिन के साथ-साथ पाठों की संख्या बढती जाएगी। नवें दिन पाठ समाप्त करके एक वृद्ध ब्राह्मण को भोजन करवा कर उसे -वस्त्र - दक्षिणा आदि दें। बहुत कारगार उपाय है ये , नौ दिन अखंड ज्योति जरुर जलना चाहिए और ये पाठ स्वयं ही करें किसी पंडित से ना करवाएं।
झगडे से तुरंत बचाव का उपाय
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अगर कभी कंही ( किसी भी जगह ,चाहे सार्वजनिक हो या घर या ऑफिस ) कोई बात तर्क-वितर्क से बढ़ कर बहस और फिर झगडे का रूप लेने वाली हो तो वहां " ॐ शांति " का जाप कर लेना चाहिए। इसका ग्यारह से इक्कीस बार जाप ही पर्याप्त है। जिन घरों में गृह -कलह की स्थिति बनी रहती है ,वहां पर कोई भी घर का सदस्य एक माला ( एक सौ आठ बार ) का जाप अवश्य कर ले।
खज़ाना चाहिए तो गुप्त दान कीजिये
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कहा जाता है अगर खज़ाना चाहिए तो गुप्त दान करना चाहिए। इसके लिए एक मिटटी का गुल्लक चाहिए होता है। इस गुल्लक में जब भी घर के किसी भी सदस्य का जन्म-दिन हो या जब घर में व्रत - अनुष्ठान हो तो कुछ धन राशि अपनी इच्छा के अनुसार इसमें डालते रहिये। और एक साल के बाद किसी भी जरूरत-मंद को दे दीजिये। और फिर एक नया गुल्लक ले आइये। जब हम किसी जरूरत-मंद को ये गुल्लक देतें है उसके चेहरे की ख़ुशी किसी खजाने से कम तो ना होगी। और एक साथ हम ,कई बार किसी की सहायता कर भी नहीं सकते।हो सकता उसका आशीर्वाद एक दिन सचमुच ही हमें खजाना दिलवा ही दें।
कुंडली ना हो तो भी ग्रहों को अनुकूल किया जा सकता है
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अक्सर इंसान बहुत सी परेशानी से जूझता रहता है और सोचता है के काश उसके पास जन्म-कुंडली हो तो किसी से पूछ लेता ( यह भी एक कटु -सत्य है एक हारा हुआ इंसान ही ज्योतिष के पास ही जाता है ,नहीं तो वो खुद ही चाँद-तारे अपनी झोली में लिए घूमता है ) ....
मेरा मानना है अगर इन्सान अपने आचार व्यवहार सही रखे तो ग्रह अपने आप ही अनुकूल हो जाते है।
1) माता-पिता की सेवा ( सूर्य-चन्द्र)
2) गुरु और वृद्ध जानो के प्रति सेवा और आदर भाव ( वृहस्पति)
3) देश -भक्ति की भावना ( शनि )
4) मजबूर और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के प्रति स्नेह भाव ( शनि )
5) अपने रक्त -सम्बन्धियों ,बहन-भाई आदि के साथ स्नेह और कर्तव्य भाव ( मंगल)
6) नारी जाति के प्रति सम्मान और श्रद्धा भाव ( शुक्र)
7) मधुर और अच्छी भाषा का प्रयोग ( बुध)
8) इस धरा के समस्त प्राणी -मात्र के प्रति दया भाव ( राहू-केतु)
उपरोक्त बातें अगर कोई भी इंसान अपने जीवन में उतार लेता है तो ...ना ही कभी कोई दुःख पास आएगा और ना ही किसी ज्योतिष के पास जाने की जरुरत ही पड़ेगी ....
ॐ शांति ....
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जन्म -दिन वाले दिन सुबह-सुबह ,जिस किसी का भी जन्म -दिन हो , एक नारियल ( पानी वाला )ले कर उस पर मोली लपेट कर ,घडी की उलटी दिशा ( एंटी क्लोक वाइज़ )में सात बार घुमाएं और बहते हुए पानी में छोड़ दें। और इस दिन जातक के वजन के बराबर गायों को हरा चारा भी डाल दें।साल भर सुख-शान्ति बनी रहती है।
आकस्मिक विपदा से बचाव
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कई बार अचानक विपदा आती है या कभी निर्दोष होते हुए भी बहुत गम्भीर आरोपों का सामना करना पड जाता है।तो सबसे सरल उपाय है सुन्दर -काण्ड का पाठ। यह नौ दिन करना होता है। पहले दिन एक पाठ , दूसरे दिन दो पाठ ऐसे ही दिन के साथ-साथ पाठों की संख्या बढती जाएगी। नवें दिन पाठ समाप्त करके एक वृद्ध ब्राह्मण को भोजन करवा कर उसे -वस्त्र - दक्षिणा आदि दें। बहुत कारगार उपाय है ये , नौ दिन अखंड ज्योति जरुर जलना चाहिए और ये पाठ स्वयं ही करें किसी पंडित से ना करवाएं।
झगडे से तुरंत बचाव का उपाय
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अगर कभी कंही ( किसी भी जगह ,चाहे सार्वजनिक हो या घर या ऑफिस ) कोई बात तर्क-वितर्क से बढ़ कर बहस और फिर झगडे का रूप लेने वाली हो तो वहां " ॐ शांति " का जाप कर लेना चाहिए। इसका ग्यारह से इक्कीस बार जाप ही पर्याप्त है। जिन घरों में गृह -कलह की स्थिति बनी रहती है ,वहां पर कोई भी घर का सदस्य एक माला ( एक सौ आठ बार ) का जाप अवश्य कर ले।
खज़ाना चाहिए तो गुप्त दान कीजिये
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कहा जाता है अगर खज़ाना चाहिए तो गुप्त दान करना चाहिए। इसके लिए एक मिटटी का गुल्लक चाहिए होता है। इस गुल्लक में जब भी घर के किसी भी सदस्य का जन्म-दिन हो या जब घर में व्रत - अनुष्ठान हो तो कुछ धन राशि अपनी इच्छा के अनुसार इसमें डालते रहिये। और एक साल के बाद किसी भी जरूरत-मंद को दे दीजिये। और फिर एक नया गुल्लक ले आइये। जब हम किसी जरूरत-मंद को ये गुल्लक देतें है उसके चेहरे की ख़ुशी किसी खजाने से कम तो ना होगी। और एक साथ हम ,कई बार किसी की सहायता कर भी नहीं सकते।हो सकता उसका आशीर्वाद एक दिन सचमुच ही हमें खजाना दिलवा ही दें।
कुंडली ना हो तो भी ग्रहों को अनुकूल किया जा सकता है
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अक्सर इंसान बहुत सी परेशानी से जूझता रहता है और सोचता है के काश उसके पास जन्म-कुंडली हो तो किसी से पूछ लेता ( यह भी एक कटु -सत्य है एक हारा हुआ इंसान ही ज्योतिष के पास ही जाता है ,नहीं तो वो खुद ही चाँद-तारे अपनी झोली में लिए घूमता है ) ....
मेरा मानना है अगर इन्सान अपने आचार व्यवहार सही रखे तो ग्रह अपने आप ही अनुकूल हो जाते है।
1) माता-पिता की सेवा ( सूर्य-चन्द्र)
2) गुरु और वृद्ध जानो के प्रति सेवा और आदर भाव ( वृहस्पति)
3) देश -भक्ति की भावना ( शनि )
4) मजबूर और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के प्रति स्नेह भाव ( शनि )
5) अपने रक्त -सम्बन्धियों ,बहन-भाई आदि के साथ स्नेह और कर्तव्य भाव ( मंगल)
6) नारी जाति के प्रति सम्मान और श्रद्धा भाव ( शुक्र)
7) मधुर और अच्छी भाषा का प्रयोग ( बुध)
8) इस धरा के समस्त प्राणी -मात्र के प्रति दया भाव ( राहू-केतु)
उपरोक्त बातें अगर कोई भी इंसान अपने जीवन में उतार लेता है तो ...ना ही कभी कोई दुःख पास आएगा और ना ही किसी ज्योतिष के पास जाने की जरुरत ही पड़ेगी ....
ॐ शांति ....
उपासना सियाग
nice presentation.तुम मुझको क्या दे पाओगे?
ReplyDeletebhut achi jankari, upyogi bhi,dene ke liye sadhu vad
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी ......
ReplyDeleteअच्छी जानकारी ....
ReplyDeletewoow di sunder lekh
ReplyDeletesundar aur behatareen lekh
ReplyDeleteBEHATAREEN JANKARI KABHI AAJAMAYENGE
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी और जीवनोपयोगी जानकारी दिए,आपका आभार.
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी उपासना जी
ReplyDeletebadiya jaankari ..
ReplyDeletebahut aachi jankari di apne....
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