सूर्य एक उष्ण और सतोगुणी ग्रह है ,यह आत्मा और पिता का करक हो कर राज योग भी देता है ..........
अगर जन्म कुंडली में यह अच्छी स्थिति में हो तो इंसान को स्फूर्तिवान ,प्रभावशाली व्यक्तित्व , महत्वाकांक्षी और उदार बनता है .
परन्तु निर्बल सूर्य या दूषित होने पर इंसान चिडचिडा ,क्रोधी ,घमंडी ,आक्रामक और अविश्वसनीय बना देता है .
मैं यहाँ सिर्फ महिलाओं की ही बात करुँगी कि सूर्य की अच्छी या बुरी स्थिति महिलाओं के जीवन में क्या प्रभाव डालती है .
अगर किसी महिला कि कुंडली में सूर्य अच्छा हो तो वह हमेशा अग्रणी ही रहती है और निष्पक्ष न्याय में विश्वास करती है चाहे वो शिक्षित हो या नहीं पर अपनी बुद्धिमता का परिचय देती है .......
परन्तु जब यही सूर्य उसकी कुंडली में नीच का हो या दूषित हो जाये तो महिला अपने दिल पर एक बोझ सा लिए फिरती है अन्दर से कभी भी खुश नहीं रहती और आस -पास का माहौल भी तनाव पूर्ण बनाये रखती है ,जो घटना अभी घटी ही ना हो उसके लिए पहले ही परेशान हो कर दूसरों को भी परेशान किये रहती है ,
बात -बात पर शिकायतें ,उलाहने उसकी जुबान पर तो रहते ही है ,धीरे -धीरे दिल पर बोझ लिए वह एक दिन रक्त चाप की मरीज बन जाती है और ना केवल वह बल्कि उसके साथ रहने वाले भी इस बीमारी के शिकार हो जाते है .
दूषित सूर्य वाली महिलायें अपनी ही मर्ज़ी से दुनिया को चलाने में यकीन रखती है सिर्फ अपने नजरिये को ही सही मानती है दूसरा चाहे कितना ही सही हो उसे विश्वास नहीं होगा ....
.
यह मेरा एक सामान्य विश्लेष्ण है ,अलग अलग जन्म कुंडली में यह स्थिति भिन्न हो सकती .सूर्य का दूसरे ग्रहों के साथ होने का भी प्रभाव पड़ सकता है .........
पर सूर्य का आत्मा से सीधा सम्बन्ध होने के कारण यह अगर दूषित या नीच का हो तो दिल डूबा -डूबा सा रहता है जिस कारण चेहरा निस्तेज सा होने लगता है .........
अगर यह सब किसी महिला में लक्षण हो तो उसे अपनी जन्म कुंडली को एक अच्छे ज्योतिषी को दिखाना चाहिए क्यूँ की महिला ही तो परिवार की धुरी होती है और वही संतुष्ट नहीं हो तो परिवार में शांति कहाँ से होगी .............!
सूर्य को जल देना ,सुबह उगते हुए सूर्य को कम से कम पंद्रह -मिनिट देखते हुए गायत्री मन्त्र का जाप ,आदित्य -ह्रदय का पाठ और अधिक परेशानी हो तो रविवार कर व्रत भी किया जा सकता है बिना नमक खा कर .......और कोई व्रत ना रख सके वह उस दिन नमक ना खाए या सूरज ढलने के बाद नमक ना खाएं .
संतरी रंग (उगते हुए सूरज )का प्रयोग अधिक करें .
अगर जन्म कुंडली में यह अच्छी स्थिति में हो तो इंसान को स्फूर्तिवान ,प्रभावशाली व्यक्तित्व , महत्वाकांक्षी और उदार बनता है .
परन्तु निर्बल सूर्य या दूषित होने पर इंसान चिडचिडा ,क्रोधी ,घमंडी ,आक्रामक और अविश्वसनीय बना देता है .
मैं यहाँ सिर्फ महिलाओं की ही बात करुँगी कि सूर्य की अच्छी या बुरी स्थिति महिलाओं के जीवन में क्या प्रभाव डालती है .
अगर किसी महिला कि कुंडली में सूर्य अच्छा हो तो वह हमेशा अग्रणी ही रहती है और निष्पक्ष न्याय में विश्वास करती है चाहे वो शिक्षित हो या नहीं पर अपनी बुद्धिमता का परिचय देती है .......
परन्तु जब यही सूर्य उसकी कुंडली में नीच का हो या दूषित हो जाये तो महिला अपने दिल पर एक बोझ सा लिए फिरती है अन्दर से कभी भी खुश नहीं रहती और आस -पास का माहौल भी तनाव पूर्ण बनाये रखती है ,जो घटना अभी घटी ही ना हो उसके लिए पहले ही परेशान हो कर दूसरों को भी परेशान किये रहती है ,
बात -बात पर शिकायतें ,उलाहने उसकी जुबान पर तो रहते ही है ,धीरे -धीरे दिल पर बोझ लिए वह एक दिन रक्त चाप की मरीज बन जाती है और ना केवल वह बल्कि उसके साथ रहने वाले भी इस बीमारी के शिकार हो जाते है .
दूषित सूर्य वाली महिलायें अपनी ही मर्ज़ी से दुनिया को चलाने में यकीन रखती है सिर्फ अपने नजरिये को ही सही मानती है दूसरा चाहे कितना ही सही हो उसे विश्वास नहीं होगा ....
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यह मेरा एक सामान्य विश्लेष्ण है ,अलग अलग जन्म कुंडली में यह स्थिति भिन्न हो सकती .सूर्य का दूसरे ग्रहों के साथ होने का भी प्रभाव पड़ सकता है .........
पर सूर्य का आत्मा से सीधा सम्बन्ध होने के कारण यह अगर दूषित या नीच का हो तो दिल डूबा -डूबा सा रहता है जिस कारण चेहरा निस्तेज सा होने लगता है .........
अगर यह सब किसी महिला में लक्षण हो तो उसे अपनी जन्म कुंडली को एक अच्छे ज्योतिषी को दिखाना चाहिए क्यूँ की महिला ही तो परिवार की धुरी होती है और वही संतुष्ट नहीं हो तो परिवार में शांति कहाँ से होगी .............!
सूर्य को जल देना ,सुबह उगते हुए सूर्य को कम से कम पंद्रह -मिनिट देखते हुए गायत्री मन्त्र का जाप ,आदित्य -ह्रदय का पाठ और अधिक परेशानी हो तो रविवार कर व्रत भी किया जा सकता है बिना नमक खा कर .......और कोई व्रत ना रख सके वह उस दिन नमक ना खाए या सूरज ढलने के बाद नमक ना खाएं .
संतरी रंग (उगते हुए सूरज )का प्रयोग अधिक करें .
Bahut badiya lekh hai Upasna sakhi.....Insaan sochne per vivash ho jata hai....
ReplyDeletethank u so much rama sakhi
ReplyDeleteBAHUT GYANOPAYOGII AUR SUNDER LEKH HAI UPASANA JII
ReplyDeletebahut bahut dhanywaad ji
Deleteअच्छा प्रयास है !एक बात और कहना चाहूँगा जैसा की आपने कहा की स्त्रियां तो घर की धुरी है इस विषय पर मेरा लिखा एक एक लेख है कभी मौका मिले तो पढ़ें अवश्य ही पसंद आएगा आपको !जय गणेश
ReplyDeletethanks shri raam ji......
Deleteयों तो....
ReplyDeleteकठिन है डगर पनघट की.....
फिर भी ....
प्रयास अच्छे हैं,
करते रहिये मानव सेवा का भाव लिए.
व्यक्तियों या किसी व्यक्ति से टिपण्णी / comments पाने मात्र के लिए नहीं .....
thank u so much..........
ReplyDeleteसुंदर जानकारी ---..
ReplyDeleteधन्यवाद उपासना जी .....अच्छी जान कारी दी ..
ReplyDeletehar subah ek baar gayatri mantra ka path to jarur karte hain ham..
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