जब - जब
मन रुपी चँद्रमां को
राहु ग्रसित करता है,
कमजोर शुक्र और
बुद्धि दायक बुध
अस्त हो जाता है ...
नीच का मंगल
मानव के मन
का साहस -हिम्मत
कमजोर करता है ...
कमजोर ,
भयभीत ,कायर
मन
नशे की तरफ चल
पङता है...!
राहु ,शनि के घर
कुंडली मार बैठ जाता है
तो
लग जाता है
शनि भी हारने ...
इंसान की
बुद्धि , मन को
नशे की गर्त मेँ खीँच
लेता है
ग्रहों का यह
हेर - फेर ।
तो क्यूँ न
करें मन को ( चंद्रमा)
मज़बूत
नशे से रहा जाए परे।
बहुत बधाई उपासना जी इसब्लोग के लिए । उससे भी अधिक यह की विषय से हट कर आपकी कविताए , और विचार जानने को मिल जाएगे अब यही ।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका प्रवीणा जी
DeleteUPASANA JI BAHUT HI SUNDAR ..MOOLTAH NASHE KE LIYE MNAGAL AUR SHUKR VILASHITA KE LIYE PRERIT KARATE HAIN RAHU BAUDHIK BHATKAV KA KARAK HAI .....PARNTU JB RAHU MITHUN ATHWA KARAK KE BHAW ME HOTA HAI TO YH US BHAV KO BALI BHI BANATA HAI .......HAN SABSE BADA KARAN CHANDRMA KA NEECH HONA ,AST HONA ATHWA RAHU KETU KE SATH HONA ....YAHAN JATAK KI BAUDHIKTA PR MN KI CHANCHALTA HABI HO JATI HAI AUR VAH RAHU MANGAL AVM SHUKR KE PAP PRABHAV SE PEEDIT HOKAR NASHA KO APNA LETA HAI,
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका नवीन जी
ReplyDelete