ज्योतिष में मन का कारक ग्रह चन्द्रमा होता है और चन्द्रमा के स्वामी शिव जी है। कुंडली में जब चन्द्रमा दूषित होता है , पाप ग्रहों के साथ स्थित होता है या कमज़ोर जो जैसे अमावस्या का जन्म हो और यदि बचपन में माँ का साथ छूट जाये तो भी चन्द्रमा कमजोर हो जाता है। क्यूंकि माँ ही हमारे मन की सुन सकती है। ऐसे में व्यक्ति हर बात मन पर रखता है। उसे लगता है की उसे कोई नहीं समझता। शक करने की आदत पड़ जाती है। अति सावधान हो जाता है। अँधेरे से भय आता है या हम कह सकते हैं कि उसे किसी भी बात का चीज़ का फोबिया /वहम रहने लग जाता है।
शिव जी की पूजा से चन्द्रमा मज़बूत होगा। वैसे तो साल भर /सारी उम्र ही शिव जी की शरण चाहिए होती है और शिव जी जल्द ही प्रसन्न होने वाले देवता है। कहा जाता है कि सावन के महीने शिव जी धरती पर निवास करते हैं।
कई बार लोग सवाल करते हैं कि शिव पर भांग , धतूरा चढ़ता है , श्मशान के निवासी है। भूत-गण उनके भक्त है , तो इसे हम यह भी सोच सकते हैं कि हमारा मन भी तो अवसादित हो कर भटक जाता है , बार -बार श्मशान की तरफ जाता है। ऐसे में शिवजी श्मशान से मन का सम्बल बन कर मन को मज़बूत करते है।
मंदिरों में शिव लिंग पर चढ़ाया जानेवाला दूध जो कि थोड़ी ही देर में नाली में बहता नज़र आता है तो क्या यह सही है। ऐसे क्या शिव प्रसन्न होते हैं ? नहीं ! वह दूध पुजारी को यूँ ही तो दिया जा सकता है। रोज़ एक मुट्ठी चावल और एक गिलास दूध देने की आदत डाल लेनी चाहिए , मन प्रसन्न रहने लग जायेगा।
शिवजी को प्रसन्न करने के लिए सावन में इक्कीस लोटे गंगा जल से शिवजी का अभिषेक करना चाहिए। गंगा किनारे रहने वाले तो गंगा जल ले सकते हैं तो बाकी लोग अपने घर में पानी में गंगा जल डाल कर काम में ला सकते हैं। अक्सर यहाँ भी अज्ञानता वश कुछ गलती हो जाती है और पूजा का पूर्ण फल नहीं मिल पाता। गलती यह कि पानी भरने के बाद गंगाजल डाल दिया जाता है ऐसा करना गंगाजल का अपमान करना होता है। जबकि पहले गंगाजल डालिये और बाद में पानी। ओम नमः शिवाय मंत्र , महामृत्युंजय मन्त्र का जप विशेष फल दायी है।
ओम शांति।
बहुत बढ़िया जानकारी , आभार
ReplyDeleteसुन्दर जानकारी
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