जन्म-कुंडली के ग्रह और उनका परिवार के लोगों पर प्रभाव। …
*******************************************************
ज्योतिष एक विज्ञान है यह सभी लोग जानते हैं। जो लोग ज्योतिष को नहीं मानते वे अक्सर कहते हैं कि ज्योतिष गलत है या कुंडलियों में कुछ नहीं रखा। यह सभी का अपना-अपना विश्वास है कि कोई क्या सोचता है।जन्म-कुंडली कभी गलत नहीं हो सकती क्यूंकि यह तो खगोल में घटित होने वाली घटना होती है जो झुठलाई नहीं जा सकती। हां ...! उसको पढने वाले की विद्या और ज्ञान में कमी हो सकती है।
*******************************************************
ज्योतिष एक विज्ञान है यह सभी लोग जानते हैं। जो लोग ज्योतिष को नहीं मानते वे अक्सर कहते हैं कि ज्योतिष गलत है या कुंडलियों में कुछ नहीं रखा। यह सभी का अपना-अपना विश्वास है कि कोई क्या सोचता है।जन्म-कुंडली कभी गलत नहीं हो सकती क्यूंकि यह तो खगोल में घटित होने वाली घटना होती है जो झुठलाई नहीं जा सकती। हां ...! उसको पढने वाले की विद्या और ज्ञान में कमी हो सकती है।
लेकिन कई बार जो लोग ज्योतिष में विश्वास रखते हैं वे भी यही कह देते हैं , उनकी जन्म-कुंडली में तो ऐसा लिखा हुआ था और वैसी कोई भी घटना घटित हुई ही नहीं। तो क्या ज्योतिषी गलत है जिसने कुंडली बना कर उसका विश्लेष्ण किया था ?मेरे विचार में ऐसा नहीं है।
एक घर में रहने वाले सभी लोगों के ग्रह आपस में एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।परिवार में जिसके भी ग्रह अधिक प्रभावशाली हो कर कुंडली में स्थापित होते हैं उसके ग्रहों का प्रभाव परिवार के दूसरे लोगों पर भी अवश्य पड़ता है।
किसी बच्चे के जन्म या घर में नई बहू के आने से घर की परिस्थितियों में बदलाव आता है , चाहे अच्छा या बुरा कैसा भी , तो कहा जाता है इसके आने से हमारे घर में यह बरकत हुयी या नुकसान हुआ। यह भी ग्रहों का प्रभाव ही होता है जो कि घर में जुड़ने वाले सदस्यों पर असर डालता है।
इसका प्रमाण मैं मेरे ही जीवन की सच्ची घटना से दे सकती हूँ।
बात तब की है जब मैं चौदह वर्ष की थी , तभी मुझे हस्त - रेखा देखने का शौक लगा था। मुझे मेरे ननिहाल में कबाड़ में पड़ी एक हस्त रेखा से सबंधित किताब मिली और उसे मैंने झाड -पौंछ कर पढने के लिए रख लिया।स्कूल की पढाई के बाद जब भी समय मिलता उसे मैं पढ़ती रहती। यह भी ग्रहों का ही खेल था कि मुझे समझ भी जल्दी आने लगा।
मेरा ध्यान एक दिन मेरी माँ के हाथो पर गया तो मैं चौंक पड़ी और मन ही मन सहम भी गयी।माँ की तो उम्र की रेखा ही बहुत छोटी थी।अब हम क्या करेंगे और मुझे तो मेरी माँ से लगाव ही बहुत है। बताई भी तो क्या बताती। रोज़ सोचती और उदास हो जाती फिर घर में जो मंदिर था उसमे शिव जी से माँ की उम्र बढ़ाने की प्रार्थना भी करती। रही सही कसर एक बाबा जी ने भी पूरी कर दी जो की पड़ोस के घर में नियमित आया -जाया करते थे।कहा जाता था कि उनकी उम्र 105 साल थी।उन्होंने माँ का हाथ देख कर कहा कि उनकी उम्र मात्र 35 वर्ष ही है। उस रात घर में कोई सोया नहीं , सभी उदास हो गए। आखिरकार माँ ने कहा ," अरे उन बाबा जी को खुद का भी पता है क्या वो कितना जियेंगे ...!" और अगर मेरी अभी उम्र कम भी है तो क्या हुआ मेरे पास अभी 7 साल है , इन 7 सात में पता नहीं क्या होगा , जो होना होगा वह तो होगा ही ,यह ईश्वर ही जानता है।"
बात पुरानी होने के साथ हम सब भूलने लगे। उन बाबा जी भी क्या हुआ पता नहीं।
1994 में हमारे एक परिचित जो की अच्छे ज्योतिष भी है। तब तक मुझे जन्म-कुंडली का ज्ञान नहीं था।सभी की कुंडली दिखाई और अचानक माँ पूछ बैठी कि उनकी तो उम्र कम थी यानि 35 वर्ष ही तो वह अब तक कैसे जीवित है। माँ ने अपना हाथ दिखाया तो पाया की उनकी उम्र की रेखा तो बढ़ी हुयी है।इस पर उन परिचित ज्योतिषी ने मेरे पिता जी की कुंडली देखी और माँ को कहा , "आपके पति की कुंडली में पत्नी-वियोग नहीं है।तभी आपकी उम्र को बढ़ना पड़ा।"
तो यह था ग्रहों के असर का प्रत्यक्ष प्रमाण। इसीलिए जन्म-कुंडली में लिखी हुई घटनाएँ नहीं भी घटित होती। इसकेलिए हम ज्योतिष को जिम्मेवार नहीं ठहरा सकते।जन्म -कुंडली का समय समय पर विश्लेष्ण करवाते भी रहना चाहिए।
ॐ शांति .......
एक घर में रहने वाले सभी लोगों के ग्रह आपस में एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।परिवार में जिसके भी ग्रह अधिक प्रभावशाली हो कर कुंडली में स्थापित होते हैं उसके ग्रहों का प्रभाव परिवार के दूसरे लोगों पर भी अवश्य पड़ता है।
किसी बच्चे के जन्म या घर में नई बहू के आने से घर की परिस्थितियों में बदलाव आता है , चाहे अच्छा या बुरा कैसा भी , तो कहा जाता है इसके आने से हमारे घर में यह बरकत हुयी या नुकसान हुआ। यह भी ग्रहों का प्रभाव ही होता है जो कि घर में जुड़ने वाले सदस्यों पर असर डालता है।
इसका प्रमाण मैं मेरे ही जीवन की सच्ची घटना से दे सकती हूँ।
बात तब की है जब मैं चौदह वर्ष की थी , तभी मुझे हस्त - रेखा देखने का शौक लगा था। मुझे मेरे ननिहाल में कबाड़ में पड़ी एक हस्त रेखा से सबंधित किताब मिली और उसे मैंने झाड -पौंछ कर पढने के लिए रख लिया।स्कूल की पढाई के बाद जब भी समय मिलता उसे मैं पढ़ती रहती। यह भी ग्रहों का ही खेल था कि मुझे समझ भी जल्दी आने लगा।
मेरा ध्यान एक दिन मेरी माँ के हाथो पर गया तो मैं चौंक पड़ी और मन ही मन सहम भी गयी।माँ की तो उम्र की रेखा ही बहुत छोटी थी।अब हम क्या करेंगे और मुझे तो मेरी माँ से लगाव ही बहुत है। बताई भी तो क्या बताती। रोज़ सोचती और उदास हो जाती फिर घर में जो मंदिर था उसमे शिव जी से माँ की उम्र बढ़ाने की प्रार्थना भी करती। रही सही कसर एक बाबा जी ने भी पूरी कर दी जो की पड़ोस के घर में नियमित आया -जाया करते थे।कहा जाता था कि उनकी उम्र 105 साल थी।उन्होंने माँ का हाथ देख कर कहा कि उनकी उम्र मात्र 35 वर्ष ही है। उस रात घर में कोई सोया नहीं , सभी उदास हो गए। आखिरकार माँ ने कहा ," अरे उन बाबा जी को खुद का भी पता है क्या वो कितना जियेंगे ...!" और अगर मेरी अभी उम्र कम भी है तो क्या हुआ मेरे पास अभी 7 साल है , इन 7 सात में पता नहीं क्या होगा , जो होना होगा वह तो होगा ही ,यह ईश्वर ही जानता है।"
बात पुरानी होने के साथ हम सब भूलने लगे। उन बाबा जी भी क्या हुआ पता नहीं।
1994 में हमारे एक परिचित जो की अच्छे ज्योतिष भी है। तब तक मुझे जन्म-कुंडली का ज्ञान नहीं था।सभी की कुंडली दिखाई और अचानक माँ पूछ बैठी कि उनकी तो उम्र कम थी यानि 35 वर्ष ही तो वह अब तक कैसे जीवित है। माँ ने अपना हाथ दिखाया तो पाया की उनकी उम्र की रेखा तो बढ़ी हुयी है।इस पर उन परिचित ज्योतिषी ने मेरे पिता जी की कुंडली देखी और माँ को कहा , "आपके पति की कुंडली में पत्नी-वियोग नहीं है।तभी आपकी उम्र को बढ़ना पड़ा।"
तो यह था ग्रहों के असर का प्रत्यक्ष प्रमाण। इसीलिए जन्म-कुंडली में लिखी हुई घटनाएँ नहीं भी घटित होती। इसकेलिए हम ज्योतिष को जिम्मेवार नहीं ठहरा सकते।जन्म -कुंडली का समय समय पर विश्लेष्ण करवाते भी रहना चाहिए।
ॐ शांति .......
बहुत सही बात कही है आपने . करें अभिनन्दन आगे बढ़कर जब वह समक्ष उपस्थित हो .
ReplyDeleteआप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......
wah! umda jankaari
ReplyDeleteupasna bahut achchi jankari se rubru karvaya tumne.......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.बहुत सही बात
ReplyDeletehttp://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
http://mmsaxena69.blogspot.in/
bethareen jaankari...
ReplyDeleteलाभप्रद जानकारी |
ReplyDeleteयहाँ भी पधारें और लेखन पसंद आने पर अनुसरण करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
लाभप्रद जानकारी,ज्योतिष का हमारे जीवन में बहुत ही अहमियत है.
ReplyDeleteउपासना जी सादर आभार ,
ReplyDeleteपिछले कई वर्षों से साहित्य के साथ साथ ज्योतिष का भी ब्लॉग एक ही लेखक के द्वारा प्राप्त हो जाये बिलकुल दुर्लभ सा लगता था परन्तु आज आपके ब्लॉग पर आकर मुझे बड़ी ख़ुशी हुई है की आप ने ज्योतिष रत्न ब्लॉग को पूरे जोश के साथ जीवंत कर रखा है ......इस ब्लॉग पर आपकी हर पोस्ट महत्वपूर्ण लगी है ।
निश्चय ज्योतिष ज्ञान को प्रकाशित करना न केवल मानव मात्र के लिए कल्याणकारी है बल्कि भारतीय वेदों से निकली ज्योतिष सृजन भी अपने आप में अति महत्वपूर्ण है । ज्योतिष में मेरी गहरी रूचि है । निश्चय ही मैं आपके ब्लॉग का महत्वपूर्ण पाठक बनूगा ।
aayu ke vishleshan ke liye hast rekhayen hi bahut prmanik nahi hain balki kundali me lagan lagnesh ashtm va ashtmesh ki mahatvpoorn bhoomika prapt hui hai ........fil hal apki ye post swagat yogy hai .....aabhar sweekaren .
ReplyDeleteश्रेष्ठ, उत्कृष्ट, अति उत्तम लेख बधाई हो
ReplyDeleteहिन्दी तकनीकी क्षेत्र की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियॉ प्राप्त करने के लिये इसे एक बार अवश्य देखें,
लेख पसंद आने पर टिप्प्णी द्वारा अपनी बहुमूल्य राय से अवगत करायें, अनुसरण कर सहयोग भी प्रदान करें
MY BIG GUIDE